
UP Elections 3 Phase, Will Akhilesh Yadav Be Able To Save Home Turf: उत्तर प्रदेश (UP Elections) विधान सभा चुनावों के 2 चरण पूरे हो चुके हैं जिनमें की पहले चरण में 58 सीटों पर, तो दूसरे चरण में 55 सीटों पर मतदान हुआ। अब बारी है तीसरे चरण की जिसमें 59 सीटों पर कल यानि 20 फ़रवरी को मतदान होगा। राजनीतिक नज़रिये से यह चरण काफी अहम माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस चरण में समाजवादी पार्टी के Yadav परिवार का सियासी गड़ कहे जाने वाले क्षेत्रों में भी मतदान है।
तीसरे चरण में 16 ज़िलों की 59 सीटों पर मतदान: UP Elections
तीसरे चरण में कुल 16 ज़िलों की 59 सीटों पर मतदान होना है। अब जिन सीटों पर मतदान है, उसमें 28 सीटें ऐसे विधान सभा क्षेत्रों की हैं, जिन्हें राजनीतिक गलियारों में यादव बेल्ट कहा जाता है। इसी यादव (Yadav) बेल्ट में आते हैं वो ज़िले, जिनमें सपा के गड़ कहे जाने वाली सीटें आती हैं। जैसे की मैनपुरी (Mainpuri) की चार सीटें, इटावा (Etawah) की तीन, कन्नौज (Kannauj) की तीन, फर्रुखाबाद (Farrukhabad) की चार और एटा (Eta) की चार। 2012 के उत्तर (UP Election) प्रदेश विधान सभा चुनाव में सपा ने इन 16 ज़िलों में 37 सीटों पर कब्ज़ा करके सत्ता में आई थी लेकिन फिर 2017 के विधान सभा चुनाव से पहले परिवार में हुई फुट का नतीजा रहा की इन 59 सीटों पर भाजपा ने 49 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था। दूसरी तरफ सपा सिर्फ 8 सीटें ही जीत सकी थी। यादव बेल्ट में साल 2017 के विधान सभा चुनाव में, सपा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) की जसवंतनगर सीट के अलावा, कन्नौज (मध्य), मैनपुरी (सदर), किसनी और करहल की सीट ही जीत पाई थी।
Akhilesh Yadav-Shivpal Singh Yadav का साथ आना वापस दिलाएगा सपा का गड़?
अगर हम बात करें 2022 के विधान सभा चुनाव (UP Elections 2022) की तो इस बार समीकरण 2017 के मुकाबले थोड़े बदले हुए हैं। पहला तो ये की Akhilesh Yadav खुद पहली बार मैनपुरी की करहल सीट से विधान सभा चुनावी मैदान में हैं और चाचा शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) से भी मिलाप हो गया है। यह मिलाप पारिवारिक और राजनीतिक दोनों है क्योंकि शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का समाजवादी पार्टी से गठबंधन हो चुका है और चाचा भतीजा पुरानी बातें भूलकर फिर एक साथ चुनाव में प्रचार करते दिख रहे हैं।
इतना ही नहीं, गुरुवार 17 फ़रवरी को सपा के संरक्षक और मैनपुरी से सांसद, Mulayam Singh Yadav (मुलायम सिंह यादव) ने करहल में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के समर्थन में जनसभा भी संबोधित करी। इस मौके पर अखिलेश (Akhilesh) की रथ यात्रा में उनके और मुलायम के साथ चाचा शिवपाल (Shivpal) भी नज़र आए। तीनों की एक साथ की तस्वीर भी काफी वाइरल हुई जिसके बाद 18 फ़रवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा की,
एक तस्वीर देखकर मुझे बड़ी हसी आई और अफसोस भी हुआ। बेचारा शिवपाल जो प्रदेश का नेता था, कल उसको बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं मिली। क्या दुर्गति थी उसकी।
मुख्यमंत्री के इस बयान का जवाब शिवपाल सिंह यादव ने एक ट्वीट के ज़रिए दिया था:
कल की इटावा की इस समाजवादी एकता की प्रतीक तस्वीर के आने के बाद भाजपा की बौखलाहट बढ़ गई है।
नकारात्मकता, अशांति पैदा करना।
व्यक्तिगत हमला व चरित्र हनन।
यही भाजपा का हथियार है।
भाजपा के शब्दकोष में तरक्की और विकास जैसे शब्द नहीं हैं।
थोड़ा इंतजार करिये, #10_मार्च_भाजपा_साफ। pic.twitter.com/Hlo1Wm7QJY— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) February 18, 2022
आपको बता दें इस बार भी शिवपाल जसवंतनगर सीट से चुनावी मैदान में हैं और उन्होंने भी करहल में अखिलेश के लिए वोट मांगते हुए कहा था की,
जो बीजेपी का प्रत्याशी है, नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का गनर था। नेता जी ने प्रोफेसर बना दिया, दो बार एमपी बना दिया। फिर बहुजन समाज पार्टी में चला गया। वहां से मायावती को धोखा दिया, उसके बाद बीजेपी में आया है। अब हमें इसकी जमानत जब्त करानी है।
गौरतलब है की अखिलेश के खिलाफ करहल से चुनाव लड़ रहे भाजपा के SP Singh Baghel (एसपी सिंह बघेल) एक समय में मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा अधिकारी थे और वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री भी हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव ने करहल की सीट से चुनाव लड़ने का फैसला इसलिए किया ताकि 2017 के यूपी चुनाव (UP Elections) में यादव बेल्ट में जो सेंध भाजपा द्वारा लगाई गई थी उसे भरा जाए क्योंकि करहल के सहारे अखिलेश (Akhilesh) आस पास की भी कई विधान सभा सीटों के वोट अपनी तरफ साध सकते हैं। एक और तर्क यह भी है की करहल के ही स्कूल में मुलायम सिंह यादव पढ़ने के बाद अध्यापक भी रह चुके हैं और यहीं से उन्होंने अपना सियासी सफर शुरू किया। इस क्षेत्र में यादव परिवार की पैठ काफी अधिक मानी जाती है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं की हो सकता है की इस बार चाचा भतीजा मिलकर अपने परिवार का सियासी गड़ बचा सकते हैं।
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Faraaz
Faraaz is pursuing Mass Communication & Journalism from BBD University Lucknow.