Person Not Having Mass Communication, Journalism Degree Shouldn’t Be Called Journalist?: मोबाईल और इंटर्नेट की क्रांति से एक और क्षेत्र मे क्रांति आई है, वो है पत्रकारिता यानि की Journalism। लेकिन ये क्रांति किसी अच्छे कार्य के लिए नहीं बल्कि अपने स्वार्थ के लिए लाई गई है। अब हर कोई Youtube चैनल खोलके अपने को पत्रकार बताता फिरता है भले उसे पत्रकारिता का रत्ती भर ज्ञान न हो। गाड़ी पर Press या Media लिखवाकर शान से घूमने वाले यह लोग, पत्रकारिता जगत के लिए काफी हानिकारक हैं। मूल्यता: इन तथाकथित पत्रकारों का मूल अजेंडा नागरिकों की आवाज़ उठाना नहीं, बल्कि “पत्रकार” नाम के लगे टैग से अपना स्वार्थ निकालना या जेब भरना होता है। इनकी वजह से ही असली पत्रकार (Journalist) बदनामी का शिकार होते हैं।
Journalism तो बहाना है, मकसद Media का कार्ड पाना है:
आम तौर पर आपने देखा होगा और सुना भी होगा, अपने आस पास कई ऐसे लोग मौजूद होते हैं जो Media का कार्ड पाने की लालसा रखते हैं। ऐसा बस इसीलिए ताकि वो अपने आप को पत्रकार (Journalist) पेश करके धड़ल्ले से गैर कानूनी काम कर सकें। अब सवाल ये है की, जब हर आम नागरिक पत्रकार बन जाएगा तो जो असली पत्रकार हैं, वो किन नागरिकों के हितों के लिए काम करेंगे।
Mass Communication नामक कोर्स तो करो भाई:
विगत वर्षों की बात करें तो BTech, BSc, BCom की तरह लाखों छात्र Journalism को अपना पेशा बनाने के लिए Diploma in Journalism, Diploma in Journalism and Mass Communication, BA in Journalism & Mass Communication, BA in Mass Media, BA in Script Writing, B.Sc in Mass Communication and Journalism, PGD in Journalism, PG Diploma in Radio, MA in Journalism & Mass Communication जैसे कौरसेज़ में प्रवेश ले रहे हैं। Graduation, Post Graduation से लेकर PG Diploma तक में छात्र अपना हाथ आज़मा रहे हैं। एक बात कहना चाहूँगा की अगर आप कभी किसी फ़र्ज़ी या तथाकथित पत्रकार (Journalist) से मिलें तो उससे इन कोरसेज़ में से किसी एक का बस नाम भर पूछ लेंगे तो वो ज़रूर अपना सर पकड़ लेगा की भई ये कौन सी बला है। मैं ये आज़मा चुका हूँ इसलिए बता रहा हूँ।
नौकरी के विज्ञापन में Journalism, Mass Communication अनिवार्य क्यों नहीं होता?
आप ने और मैंने भी एक Mass Communication का छात्र होने के नाते ये चीज़ देखी है की, ज़्यादातर Media Houses, News Paper या News Channel में जब नौकरी का विज्ञापन आता है तो उसमें कहीं भी Mass Comm. या journalism की डिग्री अनिवार्य (mandatory) नहीं होती। मैं सब पर तो आरोप नही लगा सकता लेकिन अधिकतर जगह देखा है। इतना ही नहीं अगर आप कुछ ठीक ठाक पत्रकारों के Educational Qualifications का पता लगाएंगे, तो पाएंगे की वो भी बिना किसी Mass Comm. की डिग्री के ही पत्रकारिता कर रहे हैं। इसका जवाब कुछ लोग यूं देते हैं की पहले के समय पत्रकारिता की कोई खास पढ़ाई नहीं होती थी क्योंकि अधिकतर जगहों पर बस अखबार या रेडियो का चलन ही था। तो चलिए ठीक है, लेकिन आज के ज़माने में ऐसा क्यों है? क्यों मीडिया या पत्रकारिता की नौकरी के विज्ञापन में Journalism, Mass Communication की डिग्री अनिवार्य नहीं होती है।

सब को Journalist बनना है:
क्या आपने देखा है कभी किसी डॉक्टर को बिना MBBS की डिग्री के खुद की क्लिनिक पर MBBS लिखे हुए या किसी इंजीनियर की नौकरी पर 12 वीं पास को नौकरी करते हुए? नहीं! तो फिर पत्रकारिता क्षेत्र में ऐसा क्यों है? क्यों हर चौथा व्यक्ति खुद की गाड़ी पर प्रेस या मीडिया का स्टिकर चेप कर घूमता है। इसका भी जवाब कुछ लोग देते हैं की जो योग्य होगा, बोलना जानता होगा नौकरी उसे मिलेगी, तो मैं ये कहना चाहूँगा की सिर्फ माइक पकड़के बोलना, या अच्छा लहज़े से बोलना, लिखना ही पत्रकारिता नहीं। अगर ऐसा हो तो बच्चा-बच्चा पत्रकार बन कर घूमे। क्या जो व्यक्ति बिना मास कम्यूनिकेशन का कोर्स करके नौकरी करने जा रहा है उसे Journalism के basic principles (मूल सिद्धांत) के बारे में ज़रा सी भी जानकारी होगी? हो सकता है काम करते-करते उसे अनुभव तो हो जाए लेकिन जिस संस्था में उसे नौकरी मिली है, उस संस्था को Mass Communication के हज़ारों लाखों छात्रों के बारे में भी एक सेकंड सोचना चाहिए, जो की खासकर इसी विषय की पढ़ाई कर रहे हैं। एक अयोग्य पत्रकार Fake News और Credible News के बीच फर्क कर पाएगा? Fake News आज के समय में बहुत बड़ी चुनौती है और जिसे खुद नहीं पता होगा क्या जनता को दिखाना है क्या नहीं दिखाना है, तो फिर ऐसी पत्रकारिता किस काम की।
एक और सबसे बड़ा सवाल। अगर बिना डिग्री वालों को न्यूज चैनल या न्यूज पेपर संस्था में नौकरी मिलती रहेंगी, तो जो विद्यार्थी लाखों लाखों रुपये फीस भरकर Journalism, Mass Communication की पढ़ाई कर रहे हैं, उनका क्या होगा। BA (J&MC) का छात्र होने के नाते मुझे ये बात बहुत खटकती है की जो विद्या मैं और मेरे कई मित्र इतनी मेहनत से हासिल कर रहे हैं, उसका फल दूसरे लोग बिना हमारी तरह पढ़ाई करे प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए मेरी हर बड़े मीडिया संस्थान से अपील है की जब नौकरी का विज्ञापन निकालें तो अनुभव के साथ साथ BAJMC, MAJMC, BMM या पत्रकारिता से जुड़ी कोई भी डिग्री अनिवार्य रखें अन्यथा मेरे जैसे जो विद्यार्थी फीस भरकर पत्रकारिता (Journalism) या जन संचार (Mass Communication) सीख रहे हैं, उनसे ज़्यादा तो Media का ‘कार्ड’ पाने वालों की इज़्ज़त रह जाएगी। फिर तो कोई भी गले में आला लटकाके डॉक्टर बनकर घूमे, कोई भी अपने को सिविल इंजीनियर बताए और कोई भी टेक्नॉलजी की समझ रखने वाला अपने को IT Professional बताए और कोई भी दो तीन धाराओं को जानने वाला काला कोट पहन खुद को वकील बताए।
अंत में, मैं ये कहना चाहूँगा की सरकार को भी फ़र्ज़ी पत्रकारों पर अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए क्योंकि बिना प्रशासन के इनको रोकना नामुमकिन है। अगर ऐसे लोगों को रोका नहीं गया तो आने वाले समय में पत्रकारिता का पेशा और भी बदनाम हो जाएगा।
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Faraaz
Faraaz has studied PG Diploma in TV Journalism from Jamia Millia Islamia, New Delhi & BAJMC from BBD University, Lucknow.