Sardar Udham Review: ऐमज़ान प्राइम विडिओ (Amazon Prime Video) पर एक नई फिल्म रिलीज हुई है। फिल्म का नाम है सरदार उधम जो की शहीद सरदार उधम सिंह और जलियाँवाला बाग (Jallianwala Bag) में हुए कत्ले आम के बारे में बताती है। उधम सिंह (Udham Singh) का किरदार विकी कौशल (Vicky Kaushal) ने निभाया है और निर्देशन दिया है शुजित सरकार (Shoojit Sircar) ने जो की इससे पहले पिकू और मद्रास कैफै जैसी फिल्में बना चुके हैं।
Sardar Udham movie cast: Vicky Kaushal, Stephen Hogan, Shaun Scott, Kirsty Averton, Andrew Havill, Banita Sandhu, Amol Parashar
Sardar Udham movie director: Shoojit Sircar
Sardar Udham movie rating: Three stars
Sardar Udham Review हम सब को सरदार उधम के बारे में काफी काम पता है सिवाय इसके की उन्होंने ब्रिटिश काल के पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ ड्वेयर की लंदन के कैकस्टन हॉल में 200 से ज्यादा लोगों की मौजूदगी में गोली मारकर हत्या कर दी थी। वो माइकल ओ ड्वेयर ही थे जिन्होंने जनरल डाइअर को 13 अप्रैल सन 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में रौलट्ट ऐक्ट के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही भीड़ पर फ़ाइरिंग करने को कहा था।

डायरेक्टर शुजित सरकार के मुताबिक इस फिल्म को परदे पर उतारने के लिए उन्हें करीब 20 साल लग गए। पहली बार उन्होंने इस फिल्म के बारे में तब सोच था जब सन 2000 में वो जलियाँवाला बाग घूमने के लिए गए और वहां कुछ लोगों से मिले जिनके अपने उस भयानक कत्लेआम में मार दिए गए थे।
Sardar Udham Official Trailer
Sardar Udham Review:
अब बात करते हैं फिल्म की। अगर आप ये सोच रहे हैं की देश भक्ति की फिल्म है तो जानदार और तेज आवाज़ वाले डाइअलॉग होंगे तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। शुजित सरकार ने सरदार उधम की अनकही बातें और किस्से बखूबी परदे पर उतारें हैं। स्क्रीन्प्लै और डिरेक्शिन के बीच तालमेल काफी अच्छा है। रिसर्च टीम ने भी काफी मेहनत करी है जैसे की सरदार उधम सिंह से जुड़े किस्से, आज़ादी से पहले का हिंदुस्तान और उस समय में इंग्लैंड के शहर कैसे दिखते थे, पुराने ज़माने की कार से लेकर कैमरा तक।
Costume Designing :
कास्टूम डिज़ाइनर्स की भी तारीफ करनी होगी की उन्होंने आजादी से पहले के पहनावों को काफी अच्छे तरीके से पेश किया है। सेट डिज़ाइनर्स और सिनिमटोग्राफर ने तो आजादी से पहले के अमृतसर और पुराने ज़माने के इंग्लैंड को मानों जीवंत कर दिया हो। आपको देख कर लगेगा की जैसे आप आज़ादी से पहले के दौर में चले गए हैं।
Writing and Direction :
राइटर्स और डायरेक्टर ने सरदार उधम के बारे में लगभग हर चीज़ दिखने की कोशिश करी है – वो कैसे इंग्लैंड आए, किसने उनका साथ दिया, कैसे उन्होंने प्लैनिंग करी, कैसे रहते थे, उनकी पसंदीदा खाने की चीज़ और कैसे उन्होंने पूरे प्लान को अंजाम दिया। शुजित ने फिल्म की एक एक बारीकी पर ध्यान दिया है। हालांकि इसी बीच फिल्म थोड़ी धीमी पड़ती है , लेकिन जैसे जैसे आगे कहानी आगे बढ़ती है आपको बांधने मे कामयाब हो जाती है।
कुछ जगह पर सिर्फ अंग्रेज़ी डायलऑगस का इस्तेमाल हुआ है, इसलिए वहाँ पर कुछ लोगों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है लेकिन ये कहानी के साथ फिट बैठता है।
उधम सिंह (Udham Singh) के मुकदमे वाला सीन आपको जोश से भर देगा तो जलियाँवाला बाग के सीन को जब आप देखेंगे तो आपकी रूह काँप उठेगी। उस सीन को इतने अच्छे से दर्शाया गया है की मानो उस सीन में ही शुजित और विकी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। आपको जरा सा भी नहीं लगेगा की ये कोई फिल्मी सीन है।

Vicky Kaushal ने दिल ही जीत लिया:
पौने 3 घंटे लंबी इस फिल्म में एक डाइअलॉग है जब सरदार उधम सिंह कहते हैं, “टैल पीपल आइ वॉज़ आ रेवलूशनेरी” (Tell People I Was a Revolution)। मेरे मुताबिक फिल्म की टीम और विकी कौशल लोगों तक ये बात पहुँचाने मे कामयाब हो गए हैं क्यूंकी जिस तरह से उन्होंने इस किरदार में जान डाली है, शायद ही कोई कर पाता।

उनकी डाइअलॉग डेलीवरी से लेकर हाव – भाव तक, हर चीज़ काबिल-ए-तारीफ है। एक ऐसे क्रांतिकारी की भूमिका जो की अपनी ज़िंदगी के 20 साल लगा देता है सिर्फ अपने देश की आज़ादी और देशवासियों की हत्या का बदला लेने के लिए, इसे विकी कौशल ने पूरी ईमानदारी के साथ निभाया है। हो सकता है इस फिल्म के जरिए ही लोग जानें सरदार उधम सिंह का क्या महत्व है हमारे देश के गौरवशाली इतिहास में।
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Faraaz
Faraaz is pursuing Mass Communication & Journalism from BBD University Lucknow.