ShaheenBagh Protest: रविवार को शाहीन बाग का मंज़र देखने लायक़ था. छुट्टी का दिन, साफ़ मौसम और देशव्यापी ऐंटी सी.ए.ए और प्रस्तावित एन.आर.सी प्रदर्शनों का माहौल होने के कारण शाहीन बाग में जन सैलाब उमड़ पड़ा. प्रदर्शनकारियों की भीड़ देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि लाखों लोग प्रदर्शन में शामिल हो गए है.
रविवार को शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन कुछ ख़ास इसलिए रहा क्योंकि इसमे ‘सर्व धर्म सम्भाव’ कार्यक्रम में अलग-अलग मज़हब के लोगों ने शिरकत की. इस कार्यक्रम में पारम्परिक हिंदू रीति से ‘हवन’ हुआ और सिख ‘कीर्तन’ का आयोजन भी हुआ. और इसाई धर्म के लोगों ने बाइबल भी पढ़ी. यह ऐतिहासिक मंज़र देखने लायक़ था. इसमें हिस्सा लेने वालों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी और संविधान के ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष’ मूल्यों के संरक्षण का संकल्प लिया गया.
History is being written at Shaheen Bagh.
Hindu/Muslims/Sikhs/Christians are reciting their sacred texts.
Tonight 1000s of people gathered at #ShaheenBaghProtest against #CAA_NRC . #IndiaAgainstCAA_NRC #CAA_NRC_Protest pic.twitter.com/60jDV9JNfg
— Md Asif Khan آصِف (@imMAK02) January 12, 2020
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने बताया, इसमें गीता, बाइबिल और कुरान का पाठ किया गया और गुरबानी का आयोजन हुआ. इसके बाद विभिन्न धर्मों के लोगों ने संविधान की प्रस्तावना पढ़ी जो इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं.
उन्होंने बताया की ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत की आजादी की लड़ाई के दौरान महात्मा गांधी द्वारा ‘सर्व धर्म समभाव’ (सभी धर्मों के लिए समान सम्मान या सभी धर्मों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया गया था. ताकि अंतर धार्मिक सौहार्द को बढ़ावा दिया जा सके.
दिल्ली के शाहीन बाग में महिलायें लगभग पिछले एक महीने से कालिंदी कुंज जाने वाली सड़क पर धरने पर बैठी हैं. नोएडा-कालिंदी कुंज हाईवे के बीचों-बीच टेंट लगा कर गृहिणियों के नेतृत्व में बच्चे, बूढ़े और प्रदर्शनकारी भी साथ सड़क पर अनिश्चितक़ालीन प्रदर्शन पर बैठे हैं.
उनकी माँग है की जब तक विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और प्रस्तावित पैन-इंडिया नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स को सरकार वापस नहीं लेगी हम लग यहाँ से कहीं नहीं जाने वाले. उनके अलावा, तीन बुजुर्ग महिलाएं जो अब शाहीन बाग की ‘दबंग दादी’ के रूप में लोकप्रिय हो गयी हैं. वह भी पहले दिन से ही विरोध स्थल के केंद्र स्तर पर निरंतर डटी हुई हैं.
यहाँ इंडिया गेट की एक प्रतिकृति भी कलाकारों द्वारा बनाई गयी है, जिस पर उन लोगों का नाम दर्ज है जिन लोगों ने देश भर में सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान अपनी जान गंवाई. प्रतिकृति पर दो दर्जन से अधिक नाम लिखे गए हैं जिनमें असम, कर्नाटक, बिहार जैसे राज्य शामिल है मगर अधिकांश उत्तर प्रदेश के हैं.
सीएए और एनआरसी का विरोध करने के लिए लोग शाहीन बाग और पास के जामिया मिलिया इस्लामिया में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली के अलावा, विवादास्पद कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत 11 दिसंबर को हुई थी और उत्तर प्रदेश सहित कई स्थानों पर झड़पें हुईं, जिनमें लगभग 20 लोगों की मौत हुई थी.
इस कानून के अनुसार, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्य जो 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हैं और वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं, उन्हें अवैध अप्रवासी नहीं माना जाएगा बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी. इस कानून में मुसलमानों का ज़िक्र नहीं है.
कानून का विरोध करने वालों का तर्क है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और संविधान का उल्लंघन करता है.