Bharat Band sept 25: Farm bills 2020 | केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन बिल लाई हैं, जिसका किसान सड़क पर और विपक्ष ट्विटर पर ज़ोरदार विरोध कर रहें है. 18 राजनीतिक दलों के भारी विरोध के बीच भी संसद द्वारा पारित कृषि विधेयकों के विरोध (Farmers Protest) में शुक्रवार को भारत बंद (Bharat Band) का आगाज़ हुआ. पंजाब में गुरुवार को ही रेल रोको अभियान भी चलाया गया है.
दो दर्जन से अधिक किसान संगठनों ने पहले ही भारत बंद (Bharat Bandh) के समर्थन की घोषणा कर दी थी. पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) में 31 किसान संगठन पहले से ही विरोध पर हैं. और शुक्रवार को भारत बंद (Bharat Band) के ज़रिए सरकार को अपनी चिंताओं से अवगत कराना चाहते है.
लोकसभा (Loksabha) के बाद राज्यसभा (Rajya Sabha) में 20 सितंबर को किसानों (Kisan) से जुड़े इस बिल को भले ही सदन से मंजूरी मिल गई हो, लेकिन सदन के बाहर और देश के कई हिस्सों में इस बिल के विरोध में जमकर हंगामा मचा हुआ है.
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान इन बिलों को लेकर काफ़ी ज़्यादा विरोध कर रहे हैं. हालांकि, केंद्र सरकार इसे कृषि सुधार (Agri Reform) की दिशा में एक सफल कदम बता रही है.
क्या है कृषि विधेयक, 2020 (Farm Bills 2020)
हमारे देश के साधारण किसानों के लिए बड़े ही जटिल नाम वाले बिल पास किए गये है. संसद ने कृषि संबंधी विधेयक (फार्म बिल्स 2020) को मंज़ूरी दे दी है अब राष्ट्रपति (President) द्वारा अध्यादेश (Ordinance) जारी कर इसे क़ानून बनाया जाएगा. आइए जानते है कि वो कौन से बिल है जिसे लेकर किसानों मे नाराज़गी की फसल पैदा हो गयी है.
1. आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक 2020 (Essential Commodities Amendment Bill 2020)
पहले व्यापारी किसानों से उनकी उपज को उल्टे-सीधे दाम में खरीद लेता था. फिर उसका भंडारण कर लेता थे. बाद में उसकी कमी बताकर कालाबाजारी करते थे. काला बाज़ारी रोकने के लिए यह क़ानून सन 1955 मे बनाया गया था. इस क़ानून के तहत सरकार ये तय करती है कि किसी समान का कितना भंडारण (Storage) किया जा सकता है. जिसके तहत व्यापारियों द्वारा कृषि उत्पादों के एक लिमिट से अधिक भंडारण पर रोक थी.
अब सरकार इसमे संशोधन कर सिर्फ़ युध और आपदा के वक़्त ही भंडारण का नियमन करेगी. बाकी किसी भी समय इस पर कोई रोक नही होगी.
अब बड़ी कंपनियों, व्यापारी और सुपर मार्केट सस्ते दाम पर उपज खरीदकर अपने गोदामों में उसका भंडारण करेंगे और बाद में उसकी कमी दिखा कर ऊंचे दामों पर बेचेंगे.
2. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 (Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020)
इस विधेयक के तहत सरकार ने किसानो को छूट दी है कि किसान अपनी फसल कृषि उपज मंडी समिति (Agricultural Produce Market Committee AMPC) मंडियों के बाहर भी बेच सकते हैं. और कोई भी पैन कार्ड धारक, कंपनी, सुपर मार्केट किसी भी किसान का माल किसी भी जगह पर खरीद सकता है. इससे ‘एक देश, एक कृषि मार्केट’ (One Nation One Agriculture Market) बनेगी.
अगर किसानों के उत्पाद की खरीद मंडी में नहीं होगी तो सरकार इस बात को तय नहीं कर पाएगी कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मिल रहा है या नहीं. एमएसपी की गारंटी नहीं दी गई है. जो इस विरोध का भी सबसे बड़ा कारण है.
किसानों में एक बड़ा डर यह भी है कि विवाद की स्थिति में कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया जा सकता. डीएम और एसडीएम ही समस्या का समाधान करेंगे. जो राज्य सरकार के अधीन काम करते हैं. अब सवाल ये है क्या वे सरकारी दबाव से मुक्त होकर काम कर पाएँगे ?
वन नेशन टू मार्केट (One Nation Two Market) को बढ़ावा देगा ये विधेयक ?
तो वही दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि नए कानून में साफ लिखा है कि मंडी के अंदर फसल आने पर मार्केट फीस लगेगी और मंडी के बाहर बिकने पर कोई फीस नहीं लगेगी. अब भला कोई मंडी में अनाज क्यों खरीदेगा. मंडियां तो धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगी.
3. मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक (Farmers (Endowment and Security) Agreement on Price Assurance and the Agricultural Services)
इस विधेयक के तहत किसान फसल बोने से पहले ही व्यापारी से तय कर सकते है कि वो किस दाम पर बेचेगा. मतलब उत्पादन से पहले ही भाव को लेकर समझौता किया जा सकता है. इसके तहत कांट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming) को बढ़ावा दिया जाएगा.
एक ओर कुछ किसानो का मानना है कि इस कानून से किसान अपने ही खेत में मजदूर बनकर रह जाएगा. कांट्रैक्ट फार्मिंग में कंपनियां किसानों के उत्पाद को खराब बताकर रिजेक्ट कर देती हैं.
तो दूसरी ओर व्यापारियों को डर है कि जब बड़े व्यापारी उपज खेतों से ही खरीद लेंगे तो आढ़तियों (Commission Agent) का काम ख़त्म हो जाएगा. मंडी में कोई क्यों जाएगा.
खैर इस बिल में किसानों का नुकसान तो नही हो रहा है लेकिन बिचौलियों का ज़रूर. लेकिन कांट्रॅक्ट फार्मिंग से किसानो को नुकसान हो सकता है.
हालाँकि मोदी सरकार (Modi Government) ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष किसानो को बहका रही है और दुष्प्रचार किया जा रहा है. हमारी सरकार किसानो को MSP के मध्यम से उचित मूल्य दिलाने के लिए प्रतिबध है.
मैं देश के किसानों को स्पष्ट संदेश देना चाहता हूं। आप किसी भी भ्रम में मत पड़िए।
जो लोग किसानों की रक्षा का ढिंढोरा पीट रहे हैं, दरअसल वे किसानों को अनेक बंधनों में जकड़कर रखना चाहते हैं।
वे बिचौलियों का साथ दे रहे हैं, वे किसानों की कमाई लूटने वालों का साथ दे रहे हैं। pic.twitter.com/dZlnxV591F
— Narendra Modi (@narendramodi) September 18, 2020
सरकार ने इन विधेयकों को किसान हितैषी बताते हुए दावा किया, इनसे किसानों की आय बढ़ेगी और बाज़ार उनके उत्पादों के लिए खुलेगा.
बता दें, शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल (
Harsimrat Kaur Badal ) ने कृषि विधेयक (Farm bills) के ख़िलाफ़ केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. शिरोमणि अकाली दल सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा था.
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
इन तीनो विधेयकों मे सबसे ज़्यादा विरोध कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 (Farmers’ Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Bill 2020) को लेकर हो रहा है.
भारत बंद (Bharat Band) के दौरान एंबुलेंस, दवाओं व अन्य जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति बाधित नहीं की गयी.
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