पानी वैसे तो हमारे लिए हर मौसम में महत्व रखता है पर गर्मी के मौसम में पानी की डिमांड ठीक वैसे बढ़ती है जैसे चुनावी मौसम में न्यूज़ चैनलो की टीआरपी (TRP)… मै आपको यहाँ पर पानी की समस्या या समाधान से अवगत नही कराने वाला, वो तो आप भली-भांति जानते ही हो.
मैं आपको यहाँ पर ये बताने वाला हूँ की अगर पानी नही होगा तो क्या क्या होगा ? हम बात को वर्तमान से शुरू करेगें और भविष्य तक ले जाएगे.
पानी का सांस्कृतिक महत्व

भारत के दर्शनशास्त्र में ईश्वर को भगवान कहा गया है, भगवान वास्तव में पंचक है यानि भ-भूमि+ग-गगन+व-वायू+आ-आकाश+न-नीर.
इन पंचमहाभूतों की जानकारी, दुनिया में सिर्फ भारत के पास थी. हमारा शरीर इन्ही पंचमहाभूतों से बना है, और छठी है हमारी आत्मा. वह नीर से बनती है,जल ही एक ऐसा तत्व है जो बाकी तत्वो को जोड़ता है इसलिए पानी को समझना है तो इसके सांस्कृतिक मह्तत्व को समझना होगा.
पानी से पुण्य नही पैसे कमाए जाते हैं

एक समय हुआ करता था जब पानी को पुण्य कमाने के रूप में देखा जाता था. मगर आज पानी को बोतलो में बन्द कर के पैसा कमाने के रूप में देखते है. हमने यह कभी नही सोचा होगा कि एक दिन हमे पानी भी पैसे देकर खरीदना पड़ेगा. अकेले भारत में ही बोतलबंद पानी के 200 से अधिक ब्रांड है पानी का व्यापार आज भारत में 20 फीसदी के साथ आगे बढ़ रहा है मतलब साफ है अगर आपके पास पैसा है तो आपके पास पानी है. और जिनके पास पानी है उनको पानी की कदर नही.
बीते वर्ष 2018 तक भारत में बोतलबंद पानी कारोबार के करीब 160 अरब रूपय होने का अनुमान व्यक्त किया गया था . वर्ष 2023 तक भारत में बोतलबंद पानी की खपत 35.53 अरब लीटर हो जाने का अनुमान लगाया जा रहा है.
इसका मतलब है 403.06 अरब रूपये के बोतलबंद पानी का कारोबार ये अनुमान सिर्फ 10 प्रमुख ब्रांडो की बिक्री के आधार पर पेश किया गया है. इसमे लोकल ब्रांडो को और बिना किसी नाम के केन व पाउच बेचने वाले उत्पादों के कारोबार को शामिल नही किया गया है अगर ये भी शामिल हो जाए, तो शायद यह आंकड़ा कुछ और ही ऊँचाइयां छू देगा.
पानी कैसे एक सोशल स्टेटस बन गया ?

पहले पानी में जातिकरण देखने को मिलता था. पर जब से पानी व्यापार हुआ है पानी में स्टेटसीकरण देखने को मिल रहा है. मसलन अगर आप हाई प्रोफाईल है तो आपके लिए हिमालयन (Himalayan), वेदिका (Vedica) और क्वा(Qua) जैसे मिनरल वॉटर ब्रांड आपके स्टेटस को मेंटेन करते है और अगर आप मिडिल क्लास है तो एक्वाफिना, बिस्लरी, किनली और रेल नीर आपके पानी के बजट पर सही बैठता है.
और अगर आप गरीबी तबके में आते है तो आप अपनी औकात के अनुसार कोई भी लोकल ब्रांड चुन लें या फिर 1 से 2 रूपय वाले पानी के पाउच से अपना गला तर कर लीजिए.

क्या नही देख पाएगी आने वाली पीड़ी ?

ये बात तो है वर्तमान की चलते-चलते आने वाला भविष्य को भी जान लो…हमने तो ज़िंदा डायनोसोर नही देखा, हमारे लिए ये ज्यादा दुख की बात नही थी..देख भी लेते तो शायद आखरि बार ही देखते. खैर फिल्मों और किताबो में तो दर्शन कर ही लिए.
पर आने वाली पीड़ी क्या नही देख पाएगी ? वो शायद तलाब नही देख पाएगी…झीलों को किसी शायर की महबूबा की आंखों से जानेगी..और विलुप्त होते हैंडपम्प को ग़द़र पिक्चर में सनी देओल के हाथो से उखड़ता देख, सनी देओल को “हैंडपम्प उखाड़ो अभियान” के को-फाउण्डर के रूप में जानेगी.
आपके बैंक अकाउंट में 15 लाख रुपये नहीं, 15 लाख लीटर पीनी देने के वायदे !

वैसे तो लोग दहेज़ को गलत मानते है पर लेते फिर भी है. आने वाले समय में यही लोग दहेज के लोभ मे पानी से भरी टंकियाँ मानेगे. और जो लोग दहेज नही लेंगे वे भी बारातियों का स्वागत मिनरल वॉटर की बोतलों से कराने की डिमांड करेंगे.
चुनावी माहौल में कोई नेता 15-15 लाख लीटर पीनी एंकाउट में डालने का जुमला देगा तो कोई ऐसी मशीन लगाएगा ..जिसमें एक तरफ से बालू डालेगा, दूसरी तरफ से पानी निकालेगा.
बड़े-ब़डे उघोगपति भी इसी बाजार में नई -नई स्कीम लाएगें मसलन 399 के रिचार्ज पर रोजाना 3 माह तक 1.5 लीटर पानी के साथ एक शुगर फ्री पेड़ा मुफ्त. पॉंलसी वाले भी आपको वॉटर के म्यूचुअल फण्ड के फायदे गिनाएगें.
वैसे पानी का महँगा होना कुछ लोग के लिए फायदेमन्द भी होगा क्यो कि महँगाई के डर से लोग शर्म से पानी-पानी होना छोड़ देगें…”चुल्लू भर पानी” को भी आरक्षण मिल जाएगा…बेचारा सदियों से बेहयाई और बेशर्मी की मिसाल रहा है.
कभी गरीब को देखकर अमीर की आँख में पानी आ जाता था.
एक रिश्ता था समाज का और पानी का, लेकिन जब से पानी बाजार की वस्तु हो गया है, ये रिश्ता खत्म सा होता जा रहा है.
-मनीषराज शुक्ला
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