रमजान का महीना शुरू हो चुका है. दुनिया भर में, मुसलमान इस महीने बिना कुछ खाय-पिये 30 दिनो तक रोज़ा यानी उपवास रखते हैं.
लेकिन उइगर स्वायत्त क्षेत्र (शिनजियांग) में, चीनी अधिकारि रोज़ों को “इंतेहापसंदी के संकेत” के रूप में देखते हैं.
चीन दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहाँ मुसलमानों को रोज़ा रखने की इजाज़त नहीं है. लगभग पिछले तीन वर्षों से उइगर और अन्य मुसलमानों को रोज़ा रखने से मना किया जाता रहा है.
आख़िर क्यों नहीं रख सकते हैं रोज़ा ?
शिनजियांग में इस बार भी मुसलमान रमज़ान के रोज़े नहीं रख पायेंगे. क्योंकि चीन ने मुसलमानों के रोज़ा रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
चीन ने रमजान के दौरान सिविल सेवकों, छात्रों और शिक्षकों के रोज़ा रखने पर भी प्रतिबंधित लगा दिया है.
शिनजियांग मुख्य रूप से मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है, जहाँ रमज़ान महीने के दौरान रेस्तरां खुले रखने का आदेश दिया गया है.
शिनजियांग के जिंगे काउंटी में खाद्य और औषधि प्रशासन ने अपनी वेबसाइट पर एक पोस्ट किया है, जिसमें उसने कहा है कि-
“रमजान के दौरान खाद्य सेवा कार्यस्थल सामान्य रोज़ की तरह खुले रहेंगे,”
“रमज़ान के दौरान रोज़ा रखना या अन्य किसी भी धार्मिक गतिविधियों में शामिल न हों.”
चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी आधिकारिक रूप से एक नास्तिक सरकार है, जिसने मुसलमानों को शिनजियांग में पिछले कई वर्षों से इस्लाम सम्बंधी सभी कार्यों को करने से रोक रखा है.
झिंजियांग क्षेत्र ज्यादातर मुस्लिम उइघुर अल्पसंख्यक का घर है।
क्या है रोज़ा रखने की सज़ा ?
धर्म से जुड़े, खुले या निजी प्रदर्शन जैसे “असामान्य” दाढ़ी बढ़ाना, हेडस्कार्फ़ पहनना, हिजाब करना, नमाज़ पढ़ना, रोज़ा रखना या शराब से बचना. इन सभी चीज़ों को चीन में कुछ स्थानों पर “चरमपंथ के संकेत” के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
और ऐसा करते पाए जाने पर सरकार आपको कंसनट्रेशन कैंम्प (Concentration Camp) मे डाल सकती है. जिसे सरकार “शिक्षा के माध्यम से परिवर्तन-केंद्र” (Transformation-through-education centres) कहती है और कथित तौर पर 1 मिलियन से भी ज़्यादा लोगों को इन कैम्प मेन डाल रखा है.
मुस्लिम धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाओं को लंबे समय से इस क्षेत्र में हतोत्साहित किया जा रहा है. हाल के वर्षों में इन कैम्प में निगरानी और तेज कर दी गई है.
ऐसा क्या होता है इन कैंम्प में ?
कैंम्प में मुसलमानो को इस्लाम से दूर रखने और उनको नास्तिक बनाने की ज़बर्दस्ती ट्रेनिंग दी जाती है. यहाँ मुसलमानों को हराम खाना खिलाया जाता हैं.
मुसलमानों को शराब पीने और सूअर का मांस खाने के लिए मजबूर किया जाता है. और सूत्रों के अनुसार मुस्लिम महिलाओं की चीनी आदमियों से ज़बर्दस्ती शादी भी करवायी जाती है. और मुसलमानो को नाचने-गाने की भी ट्रेनिंग दी जाती है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि वो हमारे बच्चों को इस्लाम से दूर करना चाहते हैं. उन्हें कुरान पढ़ाने की अनुमति भी नहीं है, लेकिन हम घर पर – चुपके से पढ़ाते है.
क्यों चलाया जा रहा है #FastFromChina अभियान ?
मानवाधिकार समूहों और मुस्लिम संगठनों ने मिलकर इस रमज़ान एक अभियान शुरू किया है. जिसका नाम #FastFromChina यानी चीनी उत्पादों से परहेज़, रखा गया है. जिसके तहत मुसलमानों से चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील की गयी है.
साउंड विजन फाउंडेशन के सेव उइघुर परियोजना, का कहना है- फास्ट फ्रॉम चाइना! क्योंकि चीन मुसलमानों को रोज़ा नहीं रखने देता है, इसलिए हम चीन में बने उत्पादों का बहिष्कार करेंगे.
चीन ने मुसलमानों के नरसंहार में बर्मा का समर्थन किया था, अब वह उइगुर लोगों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है.
जो धर्म की स्वतंत्रता की परवाह करते हैं, हम ऐसे लोगों से आह्वान करना चाहतें हैं कि रमजान के महीने में कोई भी चीनी उत्पाद न ख़रीदें. रमज़ान का महीना दूसरों को ज़्यादा से ज़्यादा देने का महीना है. तो आइये हम चीनी उत्पादों से उपवास करें, उन लोगों के लिये जो चीन में उपवास नहीं कर सकते हैं.
#FastFromChina अभियान पूरे ज़ोरों पर चल रहा है.
चीन ने 1 मिलियन से अधिक उइगर मुसलमानो को एकाग्रता शिविरों में रखा गया है. उन्हें हर दिन प्रताड़ित किया जाता है.
कम से कम आप हमारी और उन मुसलमानो (जो कैम्प में क़ैद है) की मदद के लिए #FastFromChina कैंपेन का साथ दें और चीनी उत्पादों का बहिष्कार करें. इस कैंपेन का प्रचार करें और दूसरों तक पहुँचाए ताकी इन कैम्प को बंद कराया जा सके.
अमेरिका में कुरान अनुवाद के सबसे बड़े प्रकाशक, अल-फुरकान फाउंडेशन ने भी इस #FastFromChina कैंपेन का समर्थन किया है.
Since #China forbid Muslims from fasting, let us fast from made in #China products this #Ramadan. Let’s #FastFromChina in solidarity with those who cannot fast in #EastTurkestan.
Al-Furqaan Foundation: Largest publishers of #Quran translations in US endorses this cause. #Uyghurs pic.twitter.com/kPMdU9216X
— DOAM (@doamuslims) April 23, 2019
हालाँकि, मुस्लिम बहुल देशों के नेता उइघुर उत्पीड़न पर चुप्पी साधे बैठें हैं.